दोस्तों, शतरंज एकमात्र ऐसा खेल है जिस पर इतनी सदियों से लिखा जा रहा है। राजाओं का खेल होने के नाते इसे शाही खेल कहते हैं। शायद इससे पुराना कोई खेल नहीं है और कुछ का मानना है कि यह लगभग 5000 वर्ष पुराना है। अब सवाल ये उठता है कि इसका विकास किसने किया होगा?
हम सभी जानते हैं कि शतरंज फारसी के शब्द “शाह’ से बना है, जिसका अर्थ राजा है। हम यह भी जानते हैं कि चैकमेट फारसी के शह-मात से बना है, जिसके मायने हैं – राजा मर गया। लेकिन क्या पारसियों ने इसका विकास किया? जैसा कि कुछ लोग कहते हैं। नहीं, यकीन से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। दरअसल, अलग-अलग समय पर इसके लिए अलग-अलग लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जैसे-यूनानी, रोमन, बेबीलोनियन, मिस्री, यहूदी, पारसी, चीनी, हिंदू, अरबी वगैरह-वगैरह। एक थ्योरी यह है कि इसे भारत में बौद्धों ने विकसित किया। बौद्ध मत के अनुसार, युद्ध और किसी भी अन्य कारण से साथी लोगों की हत्या अपराध है। इसलिए उन्होंने शतरंज का विकास जंग के विकल्प में किया। अब ज़्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि शतरंज का विकास संभवतः भारत में हुआ और फारस, अरब से होता हुआ पश्चिमी यूरोप पहुंचा। वैसे शतरंज के लम्बे इतिहास में परिवर्तन तो खूब आये हैं। एक समय था जब राजा को भी मारा जा सकता था, लेकिन आज के शतरंज में यह असंभव है। कास्ंिलग का किला बनाने का विचार लगभग 400 वर्ष पुराना है। क्वीन का इतिहास भी बहुत ही दिलचस्प है। एक समय में इसे वज़ीर कहा जाता था। आज शतरंज में अगर रानी मर जाए, तो लगता है कि सबसे शक्तिशाली मोहरा पिट गया, लेकिन प्राचीन समय में रानी सिर्फ एक आड़ा खाना चलती थी और इसलिए बिसात पर सबसे कमज़ोर मोहरा थी। लगभग 500 वर्ष पहले ही इसे अपनी मौजूदा ताकत मिली। रुख और घोड़े सदियों से ऐसे ही रहे हैं। रुख भी फारसी के शब्द से बना है और इसे हाथी भी कहते हैं। बहरहाल, आज तो शतरंज दुनिया भर में खेला जाता है और इसके अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट लाखों लोग उत्सुकता से फॉलो करते हैं। क्यों न हो, आखिर विश्व चैम्पियन तो हमारा विश्वनाथन आनंद ही है।
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