दफ्तर चाहे बड़ा हो या छोटा, राजनीति उसका हिस्सा अवश्य होती है। इसलिए उन नियमों को जानना जरूरी हो जाता है जो दफ्तर की राजनीति करने में आपकी मदद करते हैं और साथ ही आपके सम्मान पर भी आंच नहीं आने देते।
सबके प्रति अच्छा व्यवहार करें
कार्यस्थल पर दुश्मन बनाने की आवश्यकता नहीं है, न जाने किस समय किसी की जरूरत पड़ जाये। अगर आपका नजरिया सकारात्मक है और आप सहकर्मियों से ढंग से पेश आते हैं तो दूसरे लोग इस बात को नोटिस करेंगे। बकबक करने वाले सहकर्मी को शट-अप कहने का मन अगर करे तो भी संयम से काम लें, न जाने वह किसके करीब हो। संयम, स्मार्ट वर्कर होने की कुंजी है। अगर आप अपने गुस्से को नियंत्रित नहीं कर पाते तो लम्हे की खता बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। उस व्यक्ति को नाराज करने का खतरा मोल न लें जो बॉस व अन्य अधिकारियों का दोस्त है।
सुनहला नियम न भूलें
दफ्तर की राजनीति का आधार संबंध विकसित करना है, इसलिए जरूरतमंद की मदद करें। अगर किसी को सहारे की आवश्यकता है तो उसे दें। ऐसा करने से एक टीम प्लेयर के रूप में आपकी ख्याति बढ़ेगी और यह सुनिश्र्चित हो जायेगा कि जरूरत पड़ने पर लोग आपकी भी मदद करेंगे। आखिरकार हम सभी को कभी-न-कभी, किसी-न-किसी समस्या का सामना करना ही पड़ता है। अगर आप मदद करने वाले हैं तो दूसरे भी आपकी मदद करेंगे। इस सुनहले नियम को न भूलें।
गॉड फादर की तलाश करें
किसी उच्च पदाधिकारी का आप पर हाथ हो, इसका फायदा होता है। अपनी कंपनी में किसी ऐसे गॉड फादर की तलाश करें, जिसका संगठन में प्रभाव हो और अकसर अपने गॉड फादर के साथ समय बिताएँ। उनकी ईगो का संतुष्ट करें और आप बहुत कुछ सीख जायेंगे। कंपनी के “पेंट हाउस’ में कोई आपका नाम जानता है, यह सुनिश्र्चित करने से फायदा ही होता है। लेकिन गॉड फादर का चयन सावधानी से करें। जिसकी नकारात्मक शोहरत है, उससे अपने आपको न जोड़ें। इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी को संतुष्ट करने के लिए आप बहुत आाामक हों, बस खेल को सावधानीपूर्वक खेलें और आपको जीत हासिल हो जायेगी।
बहुत अधिक पेश-पेश रहने वाले न बनें
आप कौन हैं, आप क्या कर रहे हैं और आप कब सफल हुए, यह जानकारी आपके प्रबंधकों को होनी चाहिए, इस बात को सुनिश्र्चित कर लें। इसका अर्थ यह है कि मीटिंग में बोलें व अच्छे प्रश्न करें या अच्छे सत्र के बाद फॉलो-अप ई-मेल भेजें। लेकिन अपने आपको जाहिर करने और जरूरत से ज्यादा दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में बारीक फर्क है। पहचान के लिए अवसरों का चयन अक्लमंदी से करें। पेश-पेश रहना लाभकारी है, लेकिन जब जरूरत हो।
अफवाहों से बचें
जितना ज्यादा आप दफ्तर की गॉसिप में हिस्सा लेंगे, उतनी ही संभावनाएं इस बात की बढ़ जायेंगी कि एक दिन आप भी गॉसिप का विषय बन जायेंगे। आपको लगेगा कि चटपटी खबरें आपको नहीं मिल रहीं, लेकिन अक्लमंदी यही है कि गॉसिप का हिस्सा न बनें। इसलिए विषय कितना ही दिलचस्प क्यों न हो, अगर वह गॉसिप है तो अपनी जबान पर काबू रखें। दीर्घकाल में इसी का लाभ होगा।
कम्युनिकेटिव रहें
बहुत से दफ्तर समाज का सूक्ष्म रूप होते हैं और उनमें विभिन्न किस्म की शख्सियतें मौजूद होती हैं। कार्यस्थल में सबसे बड़ी चुनौती होती है ऐसे लोगों से कम्युनिकेट करना, जो लोग आप जैसे नहीं हैं। लेकिन कार्यस्थल पर आपको हर किस्म के लोगों से बात करना आना चाहिए। अपने आपको एडेप्ट करना कला है जो फायदेमंद रहती है।
लोगों से बात करें
ई-मेल, वायसमेल और फोनों ने जीवन आसान बना दिया है, लेकिन आमने-सामने रहकर बातचीत करना भी आवश्यक है। यह आज भी बहुमूल्य हैं व्यक्तिगत संपर्क से कीमती प्रोफेशनल संबंध विकसित होता है।
बॉस की ख्याति बढ़ाएँ
आपका बॉस कुशल बॉस नजर आना चाहिए। आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि वह सब कुछ करें, जिससे आपके बॉस की चमक बढ़ जाये। जब आप अपने प्रबंधक को सफल होने में मदद करते हैं तो उनकी कामयाबी का लाभ आपको ही मिलता है।
– नरेन्द्र कुमार
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