स्टार प्लस के धारावाहिक कहीं तो होगा की सूजल ग्रेवाल की भूमिका से लोकप्रियता कमाने वाले अभिनेता राजीव खंडेलवाल टीवी पर अपनी भूमिकाओं को लेकर जितने चर्चित रहे उतने ही एकता के साथ अपने विवादों के लिए भी। पर जी टीवी के केतन मेहता के “टाइम बम’ से उनके सारे विवाद पीछे छूट गए। यही नहीं सोनी के “डील या नो डील’ की एंकर की भूमिका के बाद अब यूटीवी की फिल्म आमिर की भूमिका के लिए चर्चित हो रहे हैं। वे फिल्म को लेकर उत्साहित तो थे पर थोड़े से चिंतित भी थे। कारण यह उनकी ही पहली फिल्म नहीं थी बल्कि उनके साथ ही लेखक राजकुमार गुप्ता भी बतौर निर्देशक लोगों की कसौटी पर थे।
राजीव यह आसान नहीं है। आप टीवी से बड़े परदे पर जा रहे हैं और हमारे यहॉं छवियां हावी रहती हैं?
सही है, पर असली कलाकार वही होता है जो पहले को भुला दे। मेरे लिए यह आसान नहीं है, पर मैं चुनौती स्वीकारने में कोताही नहीं बरतता। (हंसते हैं)
आमिर की चुनौती कैसी रही। यह एक तरह से विशेष सिनेमा की फिल्म थी?
और यूटीवी जैसे निर्माता की भी। मैंने जब आमिर की पटकथा पढ़ी तभी मुझे लगा कि इसमें कुछ खास है।
आपके शो टाइम बम और लेफ्ट राइट के बाद यह फिल्म आपके कॅरियर में कितनी मददगार साबित हुई?
मैं, इस बारे में नहीं सोचता। यदि लोग मुझे स्वीकार करते हैं तो मेरे लिए इससे बड़ी उपलब्धि नहीं। मैं केवल अपना काम करता हूँ। बस मैं अपने को दोहराना नहीं चाहता था।
तो क्या आपने इसीलिए पिता की सेना की पृष्ठभूमि छोड़ कर फिल्मों और टीवी का दामन पकड़ा?
शायद। वे कभी नहीं चाहते थे कि मैं अभिनय करूँ। वे मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन मेरा वृत्तचित्र बनाने का शौक इस प्रोफेशन में ले आया। यह संयोग ही था कि एकता उस समय एक नया शो बना रही थीं और मैंने भी बायोडाटा भेज दिया।
फिर विवाद क्यों हो गया उनके साथ?
सूजल विभिन्न आयामों वाला चरित्र था। जब उसे बीच में बदला जाने लगा तो मैंने विरोध किया और जब वे नहीं मानीं तो मैं बाहर आ गया। उस समय मेरे लिए यह कॅरियर का सबसे बड़ा खतरा था, पर मैं जानता था कि बिना खतरे उठाए बात नहीं बनती।
पर आपकी बात तो सूजल से ही बनी ना?
हॉं, आज मैं जो कुछ भी हूँ वह सूजल के ही कारण हूँ पर इसका मतलब दबाव में काम करना नहीं है। मैं केवल स्पष्टवादी भर हूँ।
फिर आपने आमना शरीफ के साथ अपने रिश्तों को आज तक क्यों नहीं स्वीकार किया?
सच यह है कि वे मेरी बहुत अच्छी दोस्त भर हैं और हमने दो पाकिस्तानी धारावाहिकों में काम किया है। पिछले दिनों जब उन्होंने मुंबई में घर खरीदा था तो मैंने केवल उसे संवारने और सजाने में मदद की थी। वह एक नया अऩुभव था।
आमिर में काम करना कैसा अनुभव है?
थोड़ा नर्वस था। निर्देशक चाहते थे कि सारी फिल्म में एक्शन चलता रहे। उन्होंने कई जगह छुपे हुए कैमरे लगा दिए थे ताकि जो कुछ हो वह वास्तविक लगे।
कोई ऐसा वाक्या है जो याद आता है?
हॉं, हम चोर बाजार में शूट कर रहे थे। मुझे एक खुले मेनहोल के ऊपर से भागना था। मेरे निर्देशक ने कहा कि करके दिखाओ कैसे करोगे? मैंने करके दखा दिया और कहा कि अब फायनल टेक करें। वे बोले शॉट तो ओके हो गया। (हंसते हैं)
जयपुर से दिल्ली और अब मुंबई तक की यात्रा ओके हो गयी?
नहीं। अभी तक तो मेरी शुरुआत भी नहीं हुई। मैं एक विज्ञापन कंपनी में एक निर्माण सहायक भर था, लेकिन अब लोग मुझे पहचानते हैं बस।
आप सेना की पृष्ठभूमि पर खुद भी एक शो बना रहे थे?
हॉं, लेकिन एक एपिसोड के बाद वह बंद हो गया। (हंसते हैं) जहॉं तक टीवी पर काम करनेे की बात है तो मैं लगातार पटकथाएं पढ़ता रहता हूं। यदि कोई बेहतर कहानी और चरित्र मिलेगा तो ज़रूर करूंगा। मेरा मन करता है किं अब मैं कोई कॉमेडी भूमिका करू।
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