करीब बीस साल पहले टीवी के खानदान, बुनियाद और नकाब जैसे टीवी शोज से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाली अंग्रेजी रंगमंच की अभिनेत्री शरनाज पटेल का जवाब नहीं। पहले उन्होंने संजय लीला भंसाली की ब्लैक से फिल्मों में वापसी की और उसके बाद राजकुमार संतोषी की फैमली में बिग-बी के साथ दिखायी दीं। हालांकि उसके बाद वे लंबे अरसे से फिल्मों से दूर रही हैं, पर आजकल वे न केवल अंग्रेजी में बात कर रही हैं बल्कि दूसरों को भी अंग्रेजी सिखा रही हैं। माने? माने यह कि एनडीटीवी पर अब एक बार फिर टीवी पर अंग्रेज़ी में कहते हैं नाम के शो से बतौर अंग्रेजी सिखाने वाली टीचर की भूमिका में वापसी जो हुई है। शो में वे एक ऐसी टीचर बनी हैं जो न केवल ऐसे लोगों को अंग्रेजी में बात करना सिखा रही हैं जो या तो अपने मध्यम वर्गीय होने और अंग्रेज़ी न जानने की कुंठा से ग्रस्त हैं बल्कि ऐसे लोगों की प्रतिनिधि भी हैं जो अंग्रेज़ी को केवल एक विशेष वर्ग की ही भाषा नहीं मानते।
तो क्या यह अंग्रेज़ी की पैरवी है?
नहीं। यह अंग्रेज़ी की पैरवी नहीं है बल्कि अंग्रेजी न जानने वालों को कुंठा से निकालने की मुहिम है।
फिल्मों में भी आपकी उपस्थिति एक विशेष वर्ग और संप्रदाय को दर्शाने वाली रही है। क्या यह उसकी पुनरावृत्ति है?
ऐसी बात नहीं है। फिल्मों और टीवी पर मैंने जो भूमिकाएं कीं वे दरअसल पारसी समुदाय या फिर ईसाई समुदाय के परिवारों वाली भूमिकाओं से जुड़ी थीं, पर ब्लैक और फैमिली जैसी फिल्मों में मैंने अलग तरह की भूमिकाएं कीं। वे आसान भूमिकाएं नहीं थीं।
और अंग्रेज़ी में कहते हैं कि टीचर की भूमिका। यह लगभग जबान संभालकर या अंग्रेजी के मशहूर शो माइंड योअर लैंग्वेज की नकल जैसा है?
नहीं। यह उन जैसा लग सकता है पर यह उनकी नकल नहीं है। ये दोनों शो मनोरंजन को आधार मान कर बनाए गए हैं पर अंग्रेज़ी में कहते हैं, का आधार केवल मनोरंजन नहीं है बल्कि इसमें हम बकायदा व्याकरण के साथ शिक्षा का ध्यान भी रख रहे हैं। सिद्धार्थ बासू ने जब इसकी योजना बनायी थी, तभी उनका कहना था कि वे अंग्रेज़ी का मज़ाक उड़ाने के लिए नहीं बना रहे हैं।
क्या सचमुच आपके चरित्र अंग्रेज़ी में बात करते दिखायी देंगे?
हॉं। यह एक तरह से गंभीरता भरी कक्षा का दृश्य जैसा शो है। जहॉं मैं केवल छात्रों को अंग्रेज़ी सीखने के लिए ही प्रेरित नहीं करती हूँ बल्कि सही अंग्रेज़ी सीखने के लिए भी प्रेरित करती हूँ। इनमें गृहिणी से लेकर सेल्समैन, दुकानदार और कनाडा में रहने वाले एक ऐसे बुजुर्ग भी शामिल हैं जो अपने परिवार में अंग्रेज़ी ना जानने की वजह से उपेक्षित हैं।
आपके दुबारा टीवी पर लौटने की वजह क्या है? आप लंबे समय से टीवी के साथ उपेक्षा भरा व्यवहार करती रही हैं?
(हंसती हैं) नहीं। मैं किसी दमदार भूमिका की तलाश में थी। इस धारावाहिक का हर एपिसोड पूरे परिवार को मनोरंजन के साथ कुछ न कुछ सिखाता है। हालांकि मैंने सिद्धार्थ से कह दिया था कि यदि मुझे मज़ा नहीं आया तो मैं इसे छोड़ दूंगी। शुक्र है कि मजा आ रहा है।
जब यह इतना गंभीर विषय है तो इसमें कॉमेडी जोड़ने की क्या ज़रूरत है?
कॉमेडी इसमें विषयक है जो परिस्थितियों वश आती है, लेकिन उसमें वास्तविक जीवन की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं भी शामिल हैं। यह अलग बात है कि वे आजकल के शुद्ध कॉमेडी के परिदृश्य से जरा अलग हैं।
फिल्मों और टीवी पर अब आप कितना फंसी हुई हैं, माने कितना काम कर रही हैं?
मैं ज्यादा काम करने में भरोसा नहीं करती। कोई मेरी तरह का काम मिलता है तो कर लेती हूँ। फिल्मों में भी ऐसे ही चरित्र चुनती हूँ जो मेरे व्यक्तित्व से मेल खाते हों। हॉं, रंगमंच और विज्ञापन जगत में काम चलता रहता है।
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