नवयुग में नारी – सुनील सूद सुनीला

बिन द्रौपदी संभव नहीं महाभारत,

रामायण का आधार है सीता

गार्गी, मैत्रेयी, अरुन्धती को जग ने जाना

उत्कृष्ट धर्म ज्ञान की ज्ञाता

नारी के पाण्डित्य-भाव को, मैं करूं सहस्र नमन

 

सुभद्रा के सुत अभिमन्यु ने मॉं गर्भ-अर्जित ज्ञान से

कौरवीय चक्रव्यूह में अद्वितीय धाक जमाई थी

दूजी सुभद्रा की झॉंसी रानी ने तो, अंग्रेजों को धूल चटाई थी

नारी के पुरुषार्थ-भाव को, मैं करूं विनम्र नमन

 

चित्तौड़ रानी पद्मिनी मिट गई पर, उसने न अपनी आन गंवाई थी

पन्ना ने अपनी स्वामी भक्ति की बड़ी कीमत चुकाई थी

मीरा की कृष्णभक्ति तो रग-रग में समाई थी

नारी के इन विविध रूपों को, मैं करूं शत-शत नमन

महादेवी के “अतीत चलचित्रों’ में छिपा नारी हृदय का स्पष्ट दर्शन,

“मैं नीर भरी दुःख की बदरी’ में देखो, छायावाद का प्रत्यक्ष दर्पण,

इन्दिरा गांधी ने लौह-हाथ से राजनीति थी खूब जमाई,

प्रतिभा पाटिल ने भी सूझ-बूझ से अपनी जगह बनाई

नारी की इन क्षमताओं का, मैं करूं सहर्ष अभिनन्दन

 

किरण बेदी ने किया तिहाड़ जेल में भी सफल सक्षम प्रबन्धन,

इन्द्रा नूई की कार्य कुशलता अमेरिका को भी भाई।

बछेन्द्री पाल तो कर गई हिमालय चोटी को भी पार,

सुनीता विलियम्स ने अन्तरिक्ष यान से भारत की झलक दिखलाई

नारी के इन सक्षम-कीर्तिमानों का, मैं करूं सहृदय अभिवादन

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