दोस्तों! यदि आपसे कहा जाए कि हमारी पृथ्वी पर ऐसे भी कुछ स्थान हैं, जहॉं वर्ष के कुछ खास महीनों में आधी रात को भी सूर्य के दर्शन होते हैं, तो आपको विश्वास नहीं होगा। परंतु यह सत्य है। आओ, मध्य-रात्रि के समय सूर्य के दिखाई देने वाली घटना के बारे में जानें। आप लोग इतना तो जानते ही होंगे कि आकाश में सूर्य स्थिर है और हमारी पृथ्वी अपनी कक्षा या भ्रमण पथ पर उसके चारों ओर लगभग 365 दिन में एक चक्कर पूरा करती है। इसके साथ ही वह अपने अक्ष या धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है।
पृथ्वी के इस निरंतर भ्रमण के कारण ही दिन व रात होते हैं। परंतु हम देखते हैं कि दिन और रात की अवधि हमेशा बराबर नहीं होती। कभी दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं तो कभी दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। यह पृथ्वी के अक्ष के झुकाव का परिणाम है। यहां हम आपको बता दें कि पृथ्वी का कोई वास्तविक अक्ष नहीं होता है, किंतु जब पृथ्वी घूमती है तो एक ठीक उत्तर और दूसरा ठीक दक्षिण में ऐसे दो बिंदु बनते हैं, जिन्हें एक सीधी रेखा से जोड़ देने की कल्पना करें तो वैसी ही एक धुरी बन जाएगी जैसी साइकिल के पहियों की धुरी होती है, जिन पर वे घूमते हैं।
पृथ्वी अपने तल से 66 डिग्री का कोण बनाते हुए घूमती है या यों कहें कि पृथ्वी का अक्ष सीधा न होकर 23 डिग्री तक झुका हुआ है। अक्ष के झुकाव के कारण ही दिन व रात छोटे-बड़े होते हैं। 21 जून व 22 दिसंबर ऐसी दो तिथियॉं हैं, जिनमें सूर्य का प्रकाश वृत्त पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण पृथ्वी के सभी स्थानों को समान भागों में नहीं बांटता है। दिन और रात की अवधि में अंतर आता है। उत्तरी गोलार्द्ध में मध्य-रात्रि अर्थात रात को 12 बजे भी सूर्य दिखाई देने की घटना का संबंध 21 जून वाली स्थिति से है। इस समय 66 डिग्री उ.अक्षांश से 90 डिग्री उ. अक्षांश तक का संपूर्ण भू-भाग प्रकाश वृत्त के भीतर रहता है।
इसका अर्थ यह हुआ कि यहॉं चौबीसों घंटे दिन रहता है, रात होती ही नहीं, इसीलिए वहॉं आप आधी रात को भी सूर्य को देख सकते हैं। न तो सूर्योदय होगा और न सूर्यास्त होगा। बस यही है अर्द्धरात्रि के सूर्य-दर्शन की घटना का रहस्य। नार्वे, यूरोप महाद्वीप का एक देश है। अपने एटलस में इसकी स्थिति देखो। इसके उत्तरी छोर पर हेमरफेस्ट नामक शहर है। यहॉं पर इन दिनों मध्यरात्रि के सूर्य के दर्शन करने के लिए कई शौकीन पर्यटक आते हैं। इसीलिए नार्वे को “मध्यरात्रि के सूर्य का देश’ कहते हैं। यहां चौबीसों घंटे सूर्य क्षितिज पर दिखाई देता है। प्रकृति के इस अद्भुत करिश्मे को देखने का जीवन में यदि आपको कभी अवसर मिले तो हेमरफेस्ट ज़रूर जाइए।
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