परफ्यूम, कॉस्मेटिक्स, ज्वेलरी और कपड़े। अगर आप सोचते हैं कि जहां ओनली फॉर लेडीज लिखा होता है, वहां सिर्फ यही चीजें बिकती होंगी तो आप गलत हैं। ओनली फॉर लेडीज का दायरा अब इन पारंपरिक सीमाओं से काफी आगे बढ़ गया है। कैमरा, पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, कार, स्कूटी, न जाने ऐसी कितनी चीजें हैं, जो महिलाओं के लिए स्पेशल या कहें विशेष महिलाओं के लिए बनने लगी हैं। तमाम बड़े-बड़े शोरूम अंदर से बंट से गए हैं और कुछ एक गैलरी तो पूरी तरह से ओनली फॉर लेडीज के टैग के पीछे चली गई है, तो यह स्वाभाविक है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले सालों में यह बंटवारा और तेज होगा। वो तमाम चीजें भी सिर्फ महिलाओं के लिए अलग से आयेंगी, जिनमें अभी महिलाओं और पुरूषों को लेकर कोई फर्क नहीं है।
सवाल है, इसका कारण क्या है? इसका कारण बिल्कुल सीधा-सा है। महिलाओं की आय और उनकी आय-शक्ति में पिछले कुछ सालों के दौरान जबरदस्त इजाफा हुआ है। ऐसा नहीं है कि महिलाएं पहले काम नहीं करती थीं। महिलाएं हमेशा से पुरूषों से ज्यादा काम करती रही हैं। लेकिन बतौर आय उनके हाथ में अपने काम का पहले ऐसा मूल्य नहीं आया, जो आज आ रहा है। आज महिलाएं बड़े पैमाने पर घर से बाहर निकली हैं और वह भी पुरूषों के बराबर या उनसे कुछ थोड़ा-सा ही कम वेतन पा रही हैं। चूंकि नकद पैसा उनके हाथ में आ रहा है, इसलिए उनकी आर्थिक ताकत अब तक के किसी भी दौर से कहीं ज्यादा बेहतर हुई है। क्योंकि महिलाएं न सिर्फ अपने पैसे को ठोस रूप में अपना महसूस कर सकती हैं, बल्कि वह उसे खर्च भी करती हैं यानी महिलाओं को अपने कमाए गए पैसे को खर्च करने की पहली बार उन्हें इतनी खुली आज़ादी मिली है।
यही कारण है कि उनके शॉपिंग का ट्रेंड बदल गया है। महिलाएं अब फैशन और मेकअप की चीजों के अलावा भी ऐसी खास चीजों पर रुचि लेने लगी हैं, जो सिर्फ और सिर्फ उनके लिए बनाई गई हों। इसमें कोई दो राय नहीं है कि तमाम बराबरी के बावजूद ये प्राकृतिक रूप से सिद्ध तथ्य है कि महिलाएं पुरूषों से अलग होती हैं। इसलिए उनकी सोच, उनकी इच्छाएं और उनके सोचने का ढंग ही अलग होता है। यह अलगाव उनकी चाहत और चीजों के बरतने के तौर पर भी जाता है। ऐसे में भला उन्हें वही चीजें क्यों पसंद आएंगी, जो उनसे अलग सोच रखने वाले पुरूषों के लिए उपयोगी हों। चूंकि पहले महिलाओं के पास अपने लिए खासतौर पर बनाई गई चीजों खरीदने की आय-शक्ति नहीं होती थी, इसलिए वह चाहकर भी ऐसी चीजों को खरीद नहीं पाती थीं, जो उनके लिए ही बनाई गई हों। जब वह खरीद नहीं पाती थीं तो ऐसी चीजें बनती भी कम थीं।
लेकिन आज जमाना बदल गया है, महिलाओं की स्थिति बदल गयी है, उनकी आय-शक्ति बढ़ी है तो भला बाजार इस बदलाव को क्यों न भुनाए? यही कारण है कि आज साइकिल से लेकर कार तक महिलाओं के लिए खासतौर पर अलग से बनाई जाने लगी हैं। सबसे खास बात यह है कि महिलाओं ने अपने लिए खासतौर पर बनाए गए गैजेट्स को हाथोंहाथ लिया है। इसलिए अब बाजार में बड़े पैमाने पर ओनली फॉर वुमेन गैजेट्स मौजूद हैं।
इनमें सबसे खास है मोबाइल। मोबाइल चूंकि आज की तारीख में सिर्फ सूचना पाने, सूचना देने यानी महज संपर्क का जरिया भर नहीं है, बल्कि यह एक फैशन एक्सेसरीज भी बन चुका है। ऐसे में भला महिलाएं वही मोबाइल क्यों लें, जो पुरूष लेते हैं। क्योंकि महिलाएं फैशन के मामले में पुरूषों से काफी ज्यादा रंगीन मिजाज और कल्पनाशील होती हैं, जबकि पुरूष ताउम्र महज कुछ रंगों के कपड़े ही पहनते रहते हैं। इसके विपरीत महिलाएं अलग-अलग उम्र के पड़ाव में अपनी ढेरों पसंद रखती हैं। महिलाओं की पसंद के इसी मनोविज्ञान को भुनाने के लिए मोबाइल सेट बनाने वाली कंपनियों ने महिलाओं के लिए अलग-अलग और चटख रंगों के मोबाइल बनाए हैं। गुलाबी, लाल, सफेद, मैरून। इस तरह के ज्यादातर मोबाइल महिलाओं के हाथ में ही देखने को मिलते हैं। सिर्फ मोबाइल ही नहीं एमपी-3, वॉकमैन, लैपटॉप, आईपॉड जैसे तमाम दूसरे गैजेट्स भी महिलाओं को खासतौर पर ध्यान रखकर बने हैं।
दो पहिया वाहनों के निर्माता ने शायद महिलाओं की पर्चेजिंग पावर का अंदाजा कई सालों पहले ही लगा लिया था। इसीलिए 80 के दशक के उत्तरार्ध में महिलाओं को ध्यान में रखकर मोपेड और लूना डिजाइन किए गये। फिर महिलाओं के लिए काइनेटिक और एक्टिवा जैसे स्कूटर आये और अब तो खास महिलाओं को ध्यान में रखकर दो पहिया वाहन निर्माताओं ने लगभग एक दर्जन विभिन्न नामों और डिजाइनों में दो पहिया वाहन उतार दिए हैं। महिलाएं विशेषकर युवा महिलाएं उनकी इस योजना को सफल भी बना रही हैं।
बेबी चॉइस अब बाजार के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। क्योंकि बेबी के पास अच्छी-खासी पर्चेज़िंग पावर है। पिंक कलर का मोबाइल खासतौर पर महिलाओं को पसंद है और ब्ल्यू कलर का एमपी-3 उन्हें पुरूषों से कहीं ज्यादा भाता है। इसलिए बाजार में अब इन रंगों के इन उत्पादों की कमी नहीं है। हालांकि पहले भी महिलाएं ही खरीदारी में प्रमुख भूमिका निभाती थीं। चूंकि उनके पास कमाया गया पैसा पुरूषों का ही होता था, इसलिए बाजार उनकी खास पसंद का इस तरह से ख्याल नहीं रख पाता था। आज महिलाएं 40 हजार करोड़ से ज्यादा की आय-शक्ति की मालिक हैं, जो सिर्फ और सिर्फ उनकी कमाई है।
पहले भी महिलाओं के लिए कुछ चीजें बनती थीं। लेकिन वह उनके गहनों, कपड़ों आदि तक ही सीमित रहती थीं। लेकिन अब ऐसी कोई चीज नहीं है, जो महिलाएं इस्तेमाल न करती हों और जिन्हें वह खरीद न सकती हों। इसलिए हर चीज महिलाओं के लिए अलग और पुरूषों के लिए अलग बनने लगी है। बाजार विशेषज्ञों का तो मानना है कि बहुत ही जल्द ऐसे रेस्टोरेंट और बीयर बार भी वजूद में आ जाएंगे, जहां सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की एंट्री हो। वैसे कुछ रेस्टोरेंट ऐसे हैं भी।
– राजकुमार दिनकर
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