पश्र्चिमी कल्चर का असर सिर्फ हमारे खान-पान तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनकी बेतरतीब लाइफ स्टाइल का भी हमने अंधानुकरण किया है, जो अब सेहत के नजरिए से नुकसानदेह साबित हो रहा है। कई ऐसी बीमारियों ने युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, जो अक्सर पहले वृद्घों में ही देखी-सुनी जाती थीं। आर्थराइटिस अर्थात जोड़ों का दर्द भी इसी जमात की बीमारी है। इस समस्या का खास कारण रूटीन लाइफ में अनुशासनहीनता व जोड़ों में टॉक्सिन्स का जमा होना है।
न्यू नैचुरल थेरेपी ऐसे ही जोड़ों के दर्द की एक कारगर उपचार विधि है, जो आपको जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाने का माद्दा रखती है। जिसके तहत एप्सम सॉल्ट बाथ सबसे कारगर जरिया है। त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग इसलिए भी मानी जाती है, क्योंकि यह शरीर के अंदरूनी हिस्सों को संरक्षण तो प्रदान करती ही है, साथ में शरीर को कई जीवाणु-विषाणु से भी बचाती है। लेकिन कभी-कभी इसी त्वचा के छिद्र असंयमित जीवनशैली के चलते बंद हो जाते हैं तब जोड़ों में दर्द एक बड़ी दिक्कत बनकर उभरती है। इसके लिए ज्वाइंट क्लींज उपचार का सहारा भी लिया जाता है, लेकिन एप्सम सॉल्ट बाथ के फायदे ज्यादा बेजोड़ हैं। इसके लिए आप भी करीबी केमिस्ट शॉप से एप्सम सॉल्ट खरीद सकते हैं। एप्सम सॉल्ट को मैग्नीशियम सल्फेट नाम से भी जाना जाता है।
आधा किलो एप्सम सॉल्ट को पानी से भरे बाथ टब में घोल दें। लेकिन यह ध्यान रखें कि पानी का तापमान उतना ही हो, जितना स्नान के समय आपका शरीर गर्माहट सहन कर सके। एंजाइना, हाई ब्लड-प्रेशर इत्यादि के मरीज अत्यधिक गर्म पानी के प्रयोग से परहेज करें। इस पानी में किसी भी तरह का साबुन, शैंपू इत्यादि न मिलाएं। इसके लिए पहले बाथटब में एप्सम साल्ट युक्त पानी भरें फिर बाथ टब में पैरों को पानी में डालकर यह अंदाज लें कि बाथ के पानी का तापमान शरीर के अनुकूल है। फिर पैरों से होते हुए पूरा धड़ और अंत में गर्दन को भी पानी में डुबो लें। शुरूआत जोड़ों के हल्के व्यायाम से करें और टब में ही पैरों के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों को भी व्यायाम के रूप में गतिशील बनाएं। एप्सम साल्ट बाथ युक्त गर्म पानी के टब में इस तरह की िाया से आर्थराइटिस कारक विषैले तत्व ढीले हो जाते हैं और फिर एप्सम साल्ट इन नुकसानदेह टॉक्सिन्स को सोखकर शरीर से बाहर निकाल देता है। नतीजतन, इस साल्ट बाथ के जरिए जल्द ही तल्ख दर्द से आराम मिल जाता है।
पांच से दस मिनट तक एप्सम साल्ट युक्त घोल में स्नान और शारीरिक व्यायाम के बाद बदन को तौलिए से पोंछकर पूरे शरीर को अच्छी तरह सुखा लें और मौसम का मिजाज ठीक हो तो स्नान के बाद कंबल ओढ़कर सोने का प्रयास करें। क्योंकि सोने से पसीने के द्वारा शरीर के अंदरूनी टॉक्सिन्स बाहर निकल आते हैं। फिलहाल, एप्सम साल्ट बाथ के इस नुस्खे के सहारे दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। मगर जिनके पास बाथ टब का बंदोबस्त न हो, वह किसी बड़े कटोर या बाल्टी में ही पात्र के अनुसार एक से दो चम्मच एप्सम साल्ट डालकर गर्म पानी के अंदर बारी-बारी से हाथ और पैर को डुबोकर रखें और शरीर को पोंछने के बाद ढककर रखें ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे और पसीना निकल सके। इस दौरान हाथ-पैर को गर्म पानी में डुबोकर रखने के साथ पानी का तापमान लगातार गर्म बनाए रखने के लिए बर्तन में गर्म पानी डालते रहें। साथ ही डुबाए हुए अंग की हल्के हाथों से मालिश भी करते रहें, जिससे कि साल्ट आसानी से त्वचा में रिस सके। इसके लिए प्रत्येक अंग को अर्थात हाथ और पैर को पानी के अंदर कम से कम 10 से 15 मिनट तक भिगोकर रखें। इतने ही समय अन्य अंगों को साल्ट युक्त गर्म पानी में रखें। इस पूरी प्रिाया को आवश्यकता और सहनशक्ति के अनुसार प्रयोग में लाएं। एप्सम साल्ट बाथ का एक अन्य तरीका भी प्रयोग में लाया जा सकता है। एप्सम साल्ट बाथ को किसी पात्र में रखे गर्म पानी में डालकर तौलिए को उसमें भिगोकर, जोड़ों पर कुछ देर के लिए रखें और घुटनों से लपेट दें। यह विधि भी प्रत्येक जोड़ पर कम से कम 10 से 15 मिनट तक रखें। इसके अलावा समय की बचत के लिए कई तौलियों को एक साथ घुले हुए साल्टयुक्त पानी में डुबोकर जोड़ों पर रख सकते हैं। इस तरह आप एप्सम साल्ट बाथ, एपल साइडर विनेगर, ब्लैक मॉलैसिस इत्यादि उपचार विधियों को प्रयोग कर 4-5 सप्ताह में आर्थराइटिस के दर्द से आराम पा सकते हैं। नेचुरोपैथी का विश्र्वासपूर्वक यह दावा भी है कि लगभग सभी तरह के आर्थराइटिस के दर्द से लगभग 50 फीसदी छुटकारा पाया जा सकता है और धीरे-धीरे न्यू नैचुरल थेरेपी के सहारे इसे जड़ से समाप्त करना भी संभव हो जाता है।
– डॉ. भारत भूषण
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