आज भी प्रासंगिक है कबीरदास का संदेश
इक्कीसवीं सदी के इन प्रारंभिक वर्षों में मजहबी उन्माद ने विश्व के अनेक देशों, समुदायों और वर्णों को युद्ध की विभीषिका में भस्मसात होने के लिए उत्प्रेरित किया है। यह समय मजहब अथवा धर्म की आँखों से देखने का न होकर, मानवतावादी दृष्टि रखने की ख्वाहिश रखता है। प्रत्येक देश व समाज एक-दूसरे से आगे […]