मनुष्य को पूर्वजन्म के पुण्यों के फल से ही सम्पत्ति मिलती है
श्रावस्ती नगरी के एक सेठ भोजन करने बैठे थे। उनकी सुशीला पुत्रवधू विशाखा हाथ-पंखे से उन्हें हवा कर रही थी। सेठ आराम से भोजन कर रहे थे, तभी एक बौद्ध भिक्षु उनके द्वार पर आ खड़ा हुआ। बौद्ध भिक्षु ने भिक्षा देने के आग्रह के साथ आवाज लगाई। सेठ ने पुकार पर गौर नहीं किया, […]