सेक्स एक ऐसा विषय है, जिस पर खुलकर बातचीत करने से महिलाएँ अक्सर कन्नी काट जाती हैं, विशेषकर, अपने साथी पुरुष से। महिलाएँ इस तरह की बातें अपनी अंतरंग सहेली से चाहे बॉंट लें, या फिर महिला गोष्ठी में हास-परिहास तक बोल्डनेस दिखा दें, किंतु बात जहॉं पुरुषों तक आती है, फिर चाहे वह अपना साथी ही क्यूं ना हो, वे चुप्पी साध लेती हैं। इसमें महिलाओं का दोष भी नहीं है, क्यूंकि ऐसी बातें समाज में वर्जित हैं और बेशर्मी का सबब मानी जाती हैं। अब शर्मो-हया तो महिलाओं का गहना है, सो वे ऐसी बातें खुलकर कैसे कर सकती हैं?
अपने साथी से सेक्स संबंधी बातचीत न करने में दोष चाहे महिलाओं का हो या ना हो, किंतु इस स्थिति का दुष्परिणाम उनके स्वास्थ्य पर अवश्य पड़ता है। हाल ही में किये गये अध्ययन के अनुसार- सेक्स संबंधी किसी भी प्रकार की परेशानी, हताशा, निराशा या कुंठा इत्यादि अपने साथी से छिपाने से पूर्व महिलाओं को जान लेना चाहिए कि ऐसा करना न केवल उनके परस्पर संबंधों के लिए घातक है बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। सीधी-सी बात है, अगर यौन क्रिया में संतुष्टि नहीं होगी, या फिर जैसा महिला चाहती है वैसा नहीं होगा, तो शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी महिला हताशा और कुंठा की शिकार होगी। अब अगर, इस परिस्थिति पर वह डर या शर्म, चाहे किसी भी कारण से, अपने साथी से खुलकर बात नहीं करती है और मौन साधे रहती है तो आगे चलकर स्थिति विस्फोटक हो सकती है, जिससे पारस्परिक संबंध बिगड़ेंगे और मानसिक दबाव के चलते स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा। इसलिए बेहतर है कि समय रहते ही, अपने साथी से खुलकर सेक्स संबंधित बातचीत कर ली जाये, जिससे विवाद की नौबत हंी ना आये। विवाद होने पर मस्तिष्क दो तरह से प्रतिक्रिया करता है – झगड़ा या पलायन। अधिकांश पुरुषों की प्रतिक्रिया झगड़े की होती है। ऐसे में उग्र विवाद या बहसबाजी हो जाने पर दिल की धड़कन तथा रक्तचाप बढ़ जाने से तनाव और हताश ही नहीं बल्कि हृदय रोग की संभावनाओं में भी वृद्धि हो सकती है। अब बात आती है पलायनवाद की। जैसा कि माना जाता है कि झगड़ा करने की अपेक्षा पलायनवाद ही बेहतर है- तो जान कर आश्चर्य होगा कि महिलाओं की सेहत के लिए पलायनवाद या चुप लगा जाना भी उतना ही घातक है जितना झगड़ा। यह स्थिति उन्हें खामोश कर देती है और वे अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं। यह खामोशी और उससे उत्पन्न घुटन से उनमें तनाव, दुश्ंिचता तथा हताशा उत्पन्न होती है, जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके व्यवहार पर भी पड़ता है। अब अगर व्यवहार खराब होगा तो स्वाभाविक तौर पर परिवार में विवाद होगा और विवाद होने पर फिर ऐसी ही स्थिति बनेगी और स्थिति बिगड़ती ही जाएगी।
यह भी एक सच है कि विवादों की जड़ में सबसे अधिक सेक्स की भूमिका ही रहती है, पैसे अथवा घर के कामकाज जैसे सामान्य कारणों की बनिस्पत। महिलाएँ अक्सर झगड़ा बढ़ जाने के डर से ऐसी स्थिति में चुप लगा जाती हैं। परिणामस्वरूप, शयनकक्ष में बोला गया झूठ या लगाई गई चुप्पी से शारीरिक रूप से एक साथ होते हुए भी महिला-पुरुष मानसिक तौर पर कोसों दूर होते हैं। बेहतर है कि ऐसे में महिलाएँ अपने साथी से समझदारी से काम लेते हुए खुलकर बात कर लें, अन्यथा सेक्स भावनाओं को दबाकर चुप्पी साध लेने पर तनाव और हताशा के साथ-साथ अनिष्ट की स्थिति भी हो सकती है। इसके विपरीत, अगर पलायनवाद के स्थान पर अपने पुरुष से खुलकर बात कर ली जाये तो स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ परस्पर रिश्तों में भी प्रगाढता आती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि सेक्स इच्छाओं और संतुष्टि के बारे में महिला अपने साथी से किस वाव्-कौशल से बात करे कि पासा उल्टा ना पड़ जाये। क्यूंकि इस संबंध में बात करना इतना सहज नहीं है जितना नजर आता है। अगर बात सीधे या सपाट ढंग से कह दी जाये कि- यौन संतुष्टि नहीं होती है या फिर आपके प्यार करने का तरीका ठीक नहीं है- तो पुरुष के अहम को निश्चय ही चोट लगेगी और विवाद ही उत्पन्न होगा। अतः ऐसे में वाक्पटुता से काम लेना होगा। अपने साथी की प्रशंसा करते हुए किसी फिल्म के सीन या मैग्जीन में ऐसे विषय पर छपी कहानी या घटना का विस्तार से वर्णन करते हुए अपनी इच्छा ज़ाहिर की जा सकती है। ऐसे में आप उसे अपना हीरो होने का भी अहसास करवा सकती हैं। ऐसी बातें निश्चय ही उसे अच्छी लगेंगी और वह आपकी बातों में रस लेते हुए, जैसा आप चाहेंगी वैसा ही करेगा। परंतु अक्सर होता यह है कि ऐसे में आप कहना कुछ चाहती हैं और आपकी बातों का मतलब कुछ और ही निकलता है। आपको स्वयं ही लगता है कि जो बात आप कहना चाह रही हैं, वह कह नहीं पा रही हैं। नतीजतन- कहने के ढंग, शब्दों के गलत प्रयोग और निकाले गये मतलब के चलते, प्रेम-प्यार के विपरीत, विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अतः इस बारे में अत्यंत सतर्कता से काम लेना चाहिए। बातचीत के वक्त अपना रुख सकारात्मक रखें, ना कि शिकायती लहजे में बात करें। उसे अपने सपनों का राजकुमार बताते हुए, किसी स्वप्निल घटना की तरह ही अपनी इच्छाओं को जाहिर करते हुए यौन-क्रिया का पूर्ण आनंद लें।
कहने का आशय है कि अपने स्वास्थ्य और रिश्ते में प्रगाढ़ता लाने के लिए सेक्स संबंधी अपनी इच्छाओं, कामनाओं तथा संतुष्टि के संबंध में चुप्पी ना साधें और ना ही अपनी सेक्स भावनाओं को दबाएँ, बल्कि अपने साथी से इस संबंध में खुलकर बातचीत करें, किंतु पूर्ण सावधानी के साथ। हॉं, पुरुषों की प्रवृत्ति को जानते हुए, मात्र बातचीत के स्तर पर ही इस प्रयास को समाप्त ना कर दें बल्कि इस इच्छापूर्ति के लिए उसे पूरा सहयोग और मार्गदर्शन दें, अन्यथा बात जस की तस रह जाएगी। अतः इस संबंध में मन का गुबार मन में ही दबाकर अपने साथी के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाने की अपेक्षा बेहतर होगा कि एक दोस्त और सहयोगी की तरह उसके सामने अपनी बात रखें और परस्पर विवादों को ताक पर रखते हुए, स्वस्थ जीवन जीयें।
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