भरोसा हाथों पे रख हाथ की लकीर न देख
कोई तदबीर तो कर, हासिले तदबीर न देख
तू सितारों को इरादों से बदल सकता है
पलट-पलट के तू पंचांग को तकदीर न देख
इरादा कर लिया तूफ़ानों से लड़ने का अगर
सामना मौज़ों का कर, तू पलट के तीर न देख
देना खैरात तो दे, मत सवाब की ़खातिर
दुआ के वास्ते तू सूरते फ़़कीर न देख
साथ इन्साफ का देना है तो फिर डर कैसा
देख मिज़ान को, तानी हुई शमशीर न देख
हो कोई काबिले इज्ज़त तो सिर झुकाले नरेन
कोई ग़रीब न देख, तू कोई अमीर न देख
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