हाथी में हाथी बन बैठो, किडी में हर दरशे तुं। मन मस्तान आवे मस्ती में, महावत् बनकर आयो। ऐसो खेल रचायो म्हारा दाता, आवत करनी कर गयो। ऐसी भुल जगत मांहि डाली, जहाँ देखूँ वहाँ तुं ही तुं। राजा में राजा बन बैठो, भिखारी में मँगतो तूं। चोरी में तो बन्यो चोरटो, खोज करन ने […]
सुनजो हेलो बाबा साम्भोल, आ थारे ताँई करी पुकार। म्हारे अन्न धन लेगा चांरड़ा, और दियो पति ने मार हो बाबा। दियो पति ने मार॥ टेर ॥ मैं तो सुनी थारे जोतड़ली में काँगन कड़ा फिरे। थाने याद कियो वे सेठजी, ज्याँरी डूबी जहाज तीरे॥ पैदल आवे जातरु, ज्यारां दुःखड़ा रे थे ही आधार॥ 1 […]
पिछम धरा में धणी थारो, बन्यो है देवरो। छाजारी छबि न्यारी, हो महाराज॥ मेहर तो करोनी, अजमालजी रा रामा। कलूकाल में राज कियो॥ अमृत बाणी म्हारे आंगनियाँ बोले। घूगरियाँ बाजेला, धणी रे रिमां झिमां॥ टेर ॥ माता रे मेना दे हर रे पिता अजमाल जी। पलना में, अवतार लियो॥ मेहर तो करोनी॥ 1 ॥ दूरां […]